बिंद्रावन के राजा - बाँके बिहारी
दोस्तों हुआ कुछ यूँ की मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आया हूँ और अपने पुत्र समान छोटे भाई के पास ठहरा हूँ । मौक़ा भी कुछ ऐसा आया कि शनिवार और रविवार एकदम ख़ाली है । कुछ नहीं है करने को , छोटा भाई है भी तो कॉर्प्रॉट जगत में । बहुत अच्छा लगता है ये देखकर की ये लोग पूरा वीकेंड मनाते हैं क्यूँकि शनिवार और रविवार दो दिन मिल जातें है ।
समय था, अपनो का साथ था सो मेरा ख़ुश रहना लाज़मी था । हम बैठे थे खाने पे की एकाएक भाई ने कहा, भैया चलिए बिन्द्रावन चलते हैं और राजा बाँके बिहारी से मिल कर के आते है । मैंने भी हाँ में सिर हिला दिया । फ़ैसला हुआ कि सुबह 6:00 बजे चल देंगे तो सब घूम कर आ जाएँगे समय से घर वापस ।
वैसे तो हमें जाना कार से ही था पर बारिश का मौसम है, यक़ीन मानें बहुत अच्छी बारिश हो रही थी दिल्ली और आसपास के इलाक़ों में । कई जगह पानी का भराव हो चुका था । चाहे तो समाचार पत्रों से पता किया जा सकता है ।
मैं थोड़ा आशंकित था मौसम को लेकर। अपने कमरे की बालकनी से बार बार बादल देखता और सोंचता, जाना सही होगा कि नहीं इस समय । पर कुछ बोल ना पाया ।
आ गया वो समय जब हमें जाना था । चूँकि हम सपरिवार जा रहे थे इसलिए नाश्ता, रास्ते का खाना और आप समझ सकते हैं घर के अन्य कार्य। बहू हमारी सब तेज़ी से निपटाने में लगी थी पर हम सब तैयार हो कर कार तक पहुँचें सुबह 7:45 पे । ख़ैर मौसम बहुत सुहाना था, रात भर बारिश हुई थी धीरे धीरे। सब ख़ुश, बच्चे ख़ुश और हम सब चल दिए ।
हमारे यहाँ से क़रीब 140 km पड़ता है बिंद्रावन और हमने सोंचा की यमुना इक्स्प्रेस वे पकड़ के जाएँगे। थोड़ा दिल्ली में चलने के बाद हम पहुँच गये यमुना इक्स्प्रेस वे । यक़ीन मानें वो रोड साक्षात एंजिनीयरिंग और कन्स्ट्रक्शन का बहुत अच्छा उदाहरण है । मैं पहले कभी भी उस सड़क पर नहीं गया था सो थोड़ा अचम्भित था उसको देख कर, उसपे चल कर। जैसा सुना था वैसा बिलकुल वैसा ही है । सब लाजवाब चीज़ें, सारी वयस्था सभी कुछ है उस पर । हाँ थोड़ा डर भी लगता है हम जैसे लोगों को क्यूँकि हम लोग आदि नहीं हैं ऐसी रोडों के। अगर आप उसके नियम का पालन करें तो कोई दिक़्क़त नहीं है पर दोस्तों हम भारत में रहते हैं । हाँ एक बात ज़रूर ध्यान देने वाली है कि टोल टैक्स हम जैसे आम आदमी को ज़्यादा लग सकता है और क्यूँ ना हो कार के लिए लगभग 2 रुपय प्रति km थोड़ा तो ज़्यादा है ही।
समय का पता ही नहीं चला, उम्दा रोड, हँसी मज़ाक़, बातें करते हम बिंद्रा वन पहुँच गये। भीड़ ज्यदा होने के कारण बिंद्रावन प्रशासन ने वाहन काफ़ी दूर ही रुकवा दिया । इससे कोई फ़र्क़ तो नहीं पड़ा पर समय ज़रूर लग गया, अब समय हो चुका था दिन का 11:30 और बाँके बिहारी का मंदिर 12:30 तक बंद हो जाता है दिन में। सो हम भी जल्दी जल्दी पहुँचना चाहता थे । इ रिक्शा एक अच्छी वयस्था है वहाँ पर। उससे हम मंदिर के क़रीब तो पहुँच गए पर भीड़ बहुत थी और मौसम ने भी करवट ले ली थी धूप और उमस से भी बुरा हाल हो रहा था।
बहरहाल हम मंदिर में किसी तरह पहुँचे । जैसे ही हम बाँके बिहारी के दरबार में पहुँचे लगा मानो किसी राजा के दरबार में आ गए हों । चारों तरफ़ जयकारों की आवाज़ आ रही थी, पूरा माहोल कृष्णमय था और अजीब सी आनंद की अनुभूति हो रही थी। मैं किसी तरह बाँके बिहारी के सामने पहुँचा, अचानक आँखो से आँसू छलक आए। मुझे सब अपने याद आने लगे। शब्दों से बताने में असमर्थ हूँ क्रपया माफ़ कर दें ।
बाँके बिहारी के दर्शन के बाद हम राधा वल्लभ मंदिर गए पर तब तक समय 1:15 के ऊपर हो गया था और पट बंद हो चुके थे। छोटे भाई ने बताया अब सभी मंदिर दोपहर में बंद हो चुके है, शाम को खुलेंगे सभी। मेरा मन बहुत ख़ुश था की जिस काम से आया था वो तो हो ही गया है। राजा बाँके बिहारी का चरण वन्दन तो कर ही लिया है।
अब हमें भूख भी लग रही थी और प्यास भी सो हम लोगों नें सोंचा कुछ खाया जाए । आप को बताना चाहूँगा की मंदिर के आसपास बहुत सी दुकाने हैं खाने पीने की और बाँके बिहारी के शृंगार की। हमें खोजना नहीं था और मज़े की बात यह है की सभी दुकानो का नाम राधा कृष्ण पे ही है ।
हम एक बृजवासी नास्ता की दुकान पर पहुँचे और कचौड़ी ली खाने को । यक़ीन मानों दोस्तों यह भूख के कारण था या कृष्ण की धरती का प्रताप बहुत अच्छा लगा वहाँ की कचौड़ी और सब्ज़ी खा कर। लस्सी बिना तो प्रसाद अधूरा ही था। लाजवाब लस्सी का भी आनंद लिया गया ।
अब बारी थी चलने की, हम किसी तरह अपने कार तक पहुँचे( यह थोड़ा टेढ़ा था ) और चल दिए वापस घर की ओर।
जैसा की मैंने पहले बताया यमुना इक्स्प्रेस वे पे सभी सुविधाएँ है सो हमनें भी उसका उपयोग किया और चल दिए। शाम क़रीब 7:00 बजे हम मीठी मुस्कान के साथ घर में थे। आगे बाँके बिहारी ने अगर आदेश दिया तो ज़रूर जाऊँगा हाज़री लगाने दरबार में ।
जय बाँके बिहारी की । राधे राधे
बाबा इलाहाबादी
वाह, अति सुंदर वर्णन।
ReplyDeleteBehtareen Jai banke bihari
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत तरीके से आपने ये यात्रा वृत्तांत सुनाया सच में लगा कि मैं भी इसी सफर का हिस्सा था ।
ReplyDeleteRadhe Radhe
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