अकेलापन ( सही या गलत)
अकेलापन ( सही या
गलत)
दोस्तों क्या कभी आपने सोचा है की अगर हम अकेले ही रहें हमेशा तो क्या होगा |
मन में कभी सोचिये तो आप को यह एक साधारण बात
लग सकती है पर अगर इस बाबत आपने थोड़ा भी ध्यान से सोंचा तो आप को पसीने आ जायेंगे
यह तो पक्का है |
वैसे आज कल का दौर देखा जाए तो बहुत
से लोग अकेले हैं और वो लोग काफी सफल भी हैं अपने अपने क्षेत्र में | चाहे वो राजनेता हों,कलाकार हों या वैज्ञानिक हो | कहने का मतलब सभी जगह कुछ
न कुछ उदाहरण जरूर मिल जायगा | तो क्या हम ये मान लें कि अगर अकेला रहा जाए तो सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है |
ऐसा हो तो सकता है कि शायद एक जिम्मेदारी को
छोड़ दिया जाए तो वह ऊर्जा दूसरे किसी कार्य में लगाई जा सकती है | पर मेरी बुद्धि एक ऐसे बिंदु पर अटक जाती है कि
जब मैं अकेले और गैर अकेले लोगों का विश्लेषण करता हूँ | शादी शुदा लोगों का और अकेले लोगों का अनुपात में बहुत अंतर
है | शादीशुदा लोगों की सफलता
का प्रतिशत कहीं ज्यादा है | सो कह सकते हैं
कि सफलता का पाना या न पाना आपके अकेले होने या न होने से नहीं है
पर क्या यह जीवन अकेला काटा जा सकता है | सभी इस सवाल का जवाब हाँ या नहीं में नहीं देना चाहेंगे पर
मेरे ख्याल से संभव सा असंभव है ये |
आप लोगों को एक वाक्या बताना चाहता हूँ जब मैं पढता था तो हमारी एक मैडम जो
गणित पढ़ाती थीं और हमारी क्लास टीचर भी थीं | नाम तो याद है पर मैं बताना नहीं चाहता | मैडम नाम से ही चर्चा करते हैं | मुझे मैडम का सानिध्य बहुत ज्यादा दिनों का
नहीं प्राप्त हुआ लगभग दस महीने ही होगा|
वो महिला बहुत सभ्य , शांत और अपने कार्य में परिपूर्ण थी | हाँ थोड़ा अनुशाशन कुछ ज्यादा ही पसंद था उन्हें | हमारी क्लास टीचर होने के नाते उनका हम सभी पर कुछ ज्यादा ही अधिकार था | चूकि मैं बहुत शरारती था और पढ़ने में भी बहुत अच्छा नहीं था | सो मुझे लगता था कि वो मुझ पर खास ध्यान नहीं देती होंगी | अगर कभी कुछ हुआ भी तो केवल आँखों के इशारे से काम चलती थीं |
एक बार मै अपने फिजिक्स के टीचर से काफी बहस कर रहा था, सच बता रहा हूँ गलती उन्ही की थी पर वो टीचर थे और मैं विद्यार्थी | सो गलत तो मुझे ही होना था | मैडम आई क्लास में केवल इतना कहा की जा के अपनी जगह बैठो और मैं चुपचाप अपनी जगह बैठ गया | और फिर इशारा किया की चुप बैठो | फिर मैडम ने फिजिक्स के टीचर को बोला की आप भी जाओ क्लास से | वो चले भी गए उनकी बात मान कर, जाते भी क्यों नहीं मैडम लगभग ६० साल की तो होंगी ही | काफी छोटी कद काठी थी उनकी और एकदम शादी सी रहती थीं | वो न कोई मेकअप और न कोई फैशन करती | पर स्कूल के सभी स्टूडेंट और टीचर उन्हें सम्मान बहुत देते थे और प्यार भी , पर मैं डरता था शायद कभी अभिवादन भी नहीं करता था |
खैर दिसंबर माह में उनका रिटायरमेंट तय था और केंद्रीय विद्यालय में बड़ी अच्छी प्रथा है बिदाई देने की | सो हमारी क्लास के सभी बच्चों ने भी तय किया कि उन्हें बिदाई दी जाए | पर मेरा कोई सरोकार न था उस सब से | उनके रिटायरमेंट के दिन बिदाई दिया जाना था और मैं जाना नहीं चाहता था|
पर क्लास के सभी बच्चों के कहने पर मैंने भी मन बना लिया जाने का |
जैसा की होता था असेंबली वाली जगह हम सभी स्टूडेंट और सारे टीचर एकत्र हुए और शुरू हुआ गाना बजाना, लोगो ने उनकी शान में कुछ कुछ बोला भी | हम लोग भी बैठे थे चुपचाप| सहसा मुझे एहसास हुआ कि पीछे से मेरे दोनों कंधो पर किसी ने हाथ रखा है और मेरे गालों को हथेली से छू रहा है | मैं जल्दी से खड़ा हो गया तो देखा की मैडम ही थी | मैं थोड़ा अचंभित था और कुछ बोल नहीं पा रहा था बस इतना पूछ पाया की क्या हुआ | उन्होंने कहा कुछ नहीं | मेरी क्लास की कुछ लड़कियो ने मैडम को वहीँ मेरे सामने बैठा दिया या यूँ कहें मुझे उनके सामने बैठा दिया | अब स्थिति यह थी की मैडम और मैं आमने सामने थे | मैं बहुत असहज महसूस कर रहा था | सभी लोगों ने उनसे कुछ न कुछ पूछा पर मैं शांत बैठा था | अचानक मैडम नें मेरे दोनों हाथ अपने हाथों में ले लिए और बोली तुम कुछ पूछोगे
|
मैं क्या पूछता ना का इशारा कर सर हिला दिया पर मैडम ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा | पता नहीं क्या सूझी मुझे मैंने कहा की एक बात पूछूं | सभी चुप हो गए और मैडम नें कहा पूछो| सब शांत थे शायद मेरे शैतान होने की वजह से या मजाक बनाने के लिए यह नहीं मालूम मुझे | मैंने पूछा की अब आगे क्या | आगे का जीवन कैसे कटेगा |
यकीन मानों दोस्तों मैडम नें सिर नीचे कर लिया और मेरी हथेली पर उनकी आँखों के आंसू की बूंदे गिरने लगी | मैं अंदर से हिल गया शायद , समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ | अगर मालूम होता तो न पूछता कभी ऐसा | मैंने अपनी दोनों हथेली में उनके आंसू की बंद कर लिया |
सहसा मैडम ने मेरी तरफ देखा और रुंधे गले से बोला मेरे भाई घर है वहीँ रहूंगी केरल में | भाई के बेटे के साथ |
पर उनके चेहरे का दर्द मुझे आज भी याद है | और अपने द्वारा पूछे गए सवाल पर पछतावा | उन्होंने मुझे गले लगा लिया और धीरे से कहा बहुत समझदार हो शैतानी न किया करो |
उनकी यह नसीहत ही बहुत है मेरे लिए ||
Awesome one sir
ReplyDeleteBahut gaheri baat hai sir
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