वो सर्द सुबह और कटनी स्टेशन

वो सर्द सुबह और कटनी स्टेशन
दोस्तों ये बात एक सर्द सुबह की है और अनोखा आभास है शायद बदल रहा है या हम और ज़्यादा खुले विचारों के हो रहे हैं|
मुझे कटनी मुरवारा स्टेशन से बिलासपुर आना था और मेरी ट्रेन सुबह :३० पेर थी| यकीन माने जनवरी की ठंड थी और बहुत कड़ाके की ठंड पढ़ रही थी उस समय| चूँकि मुझे जबलपुर से कर ट्रेन पकड़ना था सो मैं किसी तरह स्टेशन पहुच गया|
कटनी मुरवारा कटनी शहर का एक छोटा सा स्टेशन है ज्यदा आवाजाहि नही है वहाँ से, केवल कुछ ही रूट की गाड़ियाँ रुकती है पर अब विस्तार हो रहा है| ठंड और सर्द हवाओं से बचने के लिए मै कुछ माकूल जगह ढूंड रहा था और पहुँच गया वेटिंग रूम| वहाँ का वेटिंग रूम एक छोटा सा कमरा है और कुछ कुर्सिया लोहे की पड़ी हैं| चुपचाप बैठ कर इंतजार करने लगा ट्रेन का| चारो तरफ कोहरा था, ठंड अपने शाबाब पर थी ना कोई चाय वाला ना कोई यात्री|
सहसा मेरी नज़र सामने से रही एक युवती पर पड़ी शायद उसे कोई छोड़ने आया था स्कूटी पर| पूरी तरह से सर्द कपड़े पहने हुए सर से पाँव तक, पर यात्री तो आते जाते रहते है ये सोच कर बैठा था और ट्रेन लगभग एक घंटे हो गई वो महिला सीधे वेटिंग रूम में आकर बैठ गई अपना सामान रख कर| चुपचाप मोबाइल देखने लगी| लगभग दस मिनिट ही बीते होंगे की एक पुरुष अंदर आ के उसके बगल बैठ गया जो केवल हाफ शर्ट में था| मुझे जिग्यासा हुई कि इतनी ठंड मे ये आदमी पागल है क्या,एक हाफ शर्ट, जीन्स और चप्पल बस अजीब है| पर मैने कोई प्रतिक्रिया नही की|
वो दोनो आपस में बातें करने लगे धीरे धीरे पता नही क्या| यह तो समझ आ गया था की दोनो एक दूसरे को अच्छे से जानते पहचानते हैं और कोई बहुत विशेष बात है जो चल रही है|कभी कभी दोनो मुस्कुराते और कभी कभी बहुत  उदासी से बातें करते | महिला जब बोलती तो पुरुष बहुत ध्यान से सुनता, धीरे धीरे मेरा कौतूहल अपने चरम पर पहुँच गया कि क्या बात है दोनो में जो इतना धीरे धीरे बात कर रहें हैं| चूँकि कमरा छोटा था पर फिर भी मैं एक शब्द ना सुन पा रहा था या कह सकतें है कि परेशान होने लगा, सोचा कहीं और चला जाउ पर ठंड और कोहरा देख हिम्मत ना हुई|
उन दोनो नें कोई ओछी हरकत ना की बस बातें किए जा रहे थे पर मैं इतना समझ गया था था कि लड़की अनुपपुर में नौकरी करती है शायद मास्टर रही होगी| सहसा देखा लड़की रो रही है और शायद लड़का भी पर वो दोनो एक दूसरे से छिपा रहे थे अपने अपने आँसू| अब मुझे विस्वास था कि प्यार या तकरार का चक्कर है कुछ| सच मज़ा आने लगा था उनको देखकर, एकाएक ट्रेन आने का अनाउन्स हो गया और मैं चलने की तैयारी करने लगा| वो दोनो भी उठे लड़के ने समान उठाया और हम प्लतेफोर्म पर आ गए|
जिस ट्रेन से हम आ रहे थे उसके जनरल बोगी में आराम से जगह मिल जाती है और सफ़र भी पाँच घंटे का सो जनरल बोगी मे जाना था मुझे| ट्रेन आई सारे दरवाजे बंद थे पर जनरल का एक दरवाजा खुला था दौड़ के मै चॅड गया और लड़की भी चॅड गई उसी डब्बे में|
मैं ज़िज्गयासित हुआ देखें अब क्या होता है  और दरवाजे पे ही खड़ा हो गया|अब स्थिति यह थी मैं दरवाजे पे लड़का प्लेटफॉर्म पर और वो लड़की मेरे पीछे खड़े थे  और ट्रेन चल दी| एकाएक वो महिला ने  बोला भाई साहब ज़रा हटो तो आज खुश कर देती हूँ, मैं जल्दी से हट गया| लड़का ट्रेन के साथ साथ चल रहा था प्लेटफॉर्म पे और लड़की नें बैठ कर चुंबन ले लिया लड़के का और लगभग चिल्ला बोली बोली तेरा साथ ना छोड़ूँगी जिंदगी भर और अंदर सीट पर बैठने चली गई| लड़का बहुत खुश हो गया था चिल्ला रहा था आई लव यू बार बार, ट्रेन ने रफ़्तार पकड़ ली मैं भी बैठ गया दूसरी जगह पर| दिमाक अब ये सोच रहा था क्या हुआ ये| सोचों तो बहुत छोटी घटना है शायद पर....................
अब हम वेस्टर्न हो रहे है या कुछ और........
पर जब भी याद आता है तो आनयास ही मुस्कुराहट मेरे चेहरे पे जाती है|

शायद ये प्यार का एहसास है||||

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