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Showing posts from November, 2017

हमारा पुराना

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मित्रों आज आफिस से थोड़ा जल्दी आ गया था और आफिस में ज्यदा काम न था सो कार्य कि थकान या बोझ न था | चूँकि संदीप से काफी दिंनों से मुलाकात न हुई थी तो उसी से मिलने का मन बनाया और अपनी मोटरसाइकिल (नैंसी) से निकल पड़ा| छत्तीसगढ़ के बारे में क्या कहना वो तो सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा | प्राकर्तिक ससाधन से भरपूर, मनोरम जगह से भरा हुआ, जगलों से भरपूर राज्य में कोई कमी तो नहीं है पर अब पहले वाली खाने कि चीजें कम ही मिलती हैं | याद आता है बचपन की अंगाकर रोटी, चीला,ठुसका और न जाने क्या क्या | चूँकि मैं तो छत्तीसगढ़ कि पैदाइश हूँ नहीं पर काफी दिनों से यहाँ रह रहा हूँ और यहाँ के लोगों का भोलापन मुझे बहुत भाता है | संदीप से बाते करते करते अचानक हम एक गुपचुप के ठेले पर पहुंचे और वहां लिखी लाइन पढ़ कर मानों अंदर से स्फूर्ति आ गई( जुल्म कि जंजीरों से दुनिया कि शान अच्छी है , छोटी-मोटी नौकरियों से ये चाट कि दुकान अच्छी है )| यकीन मानें मैं ,संदीप और चाट वाले महाशय के बीच बहुत बात हुई | छत्तीसगढ़ के वर्तमान , भविष्य को लेकर और चर्चा का अंत हुआ यहाँ के खाने को लेकर | हम तीनों का मत था कि अब शायद...

हम राइड क्यों करते हैं

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हम राइड क्यों करते हैं मेरे मोटरसाइकिल के राइड के पैशन के कारण मुझे कई बार यह सुनने को मिलता है कि मैं ऐसा क्यों करता हूँ | क्या मिलता है मुझे पैसे बर्बाद करने से और ऑफिस से छुट्टी ले कर इधर उधर घूमने से | मैं कई बार अकेले में सोंचता हूँ सही बात तो है - हम राइड क्यों करते हैं | काफी सोंचा तो लगा कि क्यों न इस अहसास को कलम के द्वारा बताया जाए | पहली बात तो यह समझ लेनी चाहिए की राइड करना और मोटरसाइकिल चलना दो अलग अलग बात है | आजकल के दौर में लगभग सभी घरों में या यूँ कहे सभी मोटरसाइकिल चलाते हैं | सभी लोग अपने कार्य को पूर्ण भी करते हैं | चाहे वो बाजार से सब्जी लाना हो , बच्चे को स्कूल पहुँचाना हो या कोई और रोजमर्रा के काम हो | मोटरसाइकिल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है इसको नाकारा नहीं जा सकता | तो फिर राइड क्या है और हम राइड क्यों करतें हैं | अगर इसको चरणबध्द तरीके से देखा जाये तो १. हमें आजादी का एहसास होता है २. हमें मजा आता है ३. हमें लोगो में पहचान मिलती है ४. हमें घूमने को मिलता है ५. यह हमारा शौक है | लिखने के लिए तो सैकड़ों पॉइंट लिखे जा सकते हैं पर शायद ही कोई राइडर इ...

मस्तीले बुलेट पे _ कॉफ़ी पॉइंट

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मस्तीले बुलेट पे _ कॉफ़ी पॉइंट दोस्तों मैंने अपने बचपन में एक राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म देखी थी बावर्ची | उस समय तो एहसास नहीं था की क्या मायने हैं इस डायलॉग के या भावनाओ के | एक जगह हीरो कहता है कि हम किसी बड़ी ख़ुशी के चक्कर में कई छोटी छोटी खुशियां जाया कर देते हैं | अब ४० सावन पार करने के बाद एहसास होता है कि कितनी सच्ची बात है ये | खैर मेरी पिछली भूटान राइड यात्रा के बाद मैं शायद बंध सा गया था | कोई राइड न कर पा रहा था | लगभग दो महीने बीत चुके थे , कोफ़्त सी होने लगी थी मुझे अपने आप पर | सभी लोग मुझसे पूछते की कब जा रहे हो राइड पे , मैं केवल मुस्कुरा देता पर उनकी मुस्कान भरी आँखे देखता तो अंदर तक तकलीफ होती | मैं सोचता अब मुझे बड़ी राइड करना है और लोगों को बताना है | मैंने ऐसा किया भी पर इस लम्बी राइड का इंतजार कब तक.......... | इसी बीच हमारे बीच का नखरीला राइडर रचित एक दिन बोला  कि सर अब मैं  कि पूरा छत्तीसगढ़ न घूम पाउँगा | मैंने पुछा ऐसा क्यों तो बोला की  आप लम्बी राइड करोगे और हम लोग आप के बिना न जा पाएंगे | बहुत शैतान है रचित या होशियार पता नहीं पर जिद्दी ...