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Showing posts from October, 2017

अकेलापन ( सही या गलत)

अकेलापन ( सही या गलत) दोस्तों क्या कभी आपने सोचा है की अगर हम अकेले ही रहें हमेशा तो क्या होगा | मन में कभी सोचिये तो आप को यह एक साधारण बात लग सकती है पर अगर इस बाबत आपने थोड़ा भी ध्यान से सोंचा तो आप को पसीने आ जायेंगे यह तो पक्का है |  वैसे आज कल का दौर देखा जाए तो बहुत से लोग अकेले हैं और वो लोग काफी सफल भी हैं अपने अपने क्षेत्र में | चाहे वो राजनेता हों , कलाकार हों या वैज्ञानिक हो | कहने का मतलब सभी जगह कुछ  न कुछ उदाहरण जरूर मिल जायगा | तो क्या हम ये मान लें कि अगर अकेला रहा जाए तो सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है | ऐसा हो तो सकता है कि शायद एक जिम्मेदारी को छोड़ दिया जाए तो वह ऊर्जा दूसरे किसी कार्य में लगाई जा सकती है | पर मेरी बुद्धि एक ऐसे बिंदु पर अटक जाती है कि जब मैं अकेले और गैर अकेले लोगों का विश्लेषण करता हूँ | शादी शुदा लोगों का और अकेले लोगों का अनुपात में बहुत अंतर है | शादीशुदा लोगों की सफलता का प्रतिशत कहीं ज्यादा है | सो कह सकते हैं कि सफलता का पाना या न पाना आपके अकेले होने या न होने से नहीं है पर क्या यह जीवन अकेला काटा जा सकता है | सभी इस सवाल का जवा...

मैं सुधर गया (भाग – २)

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मैं सुधर गया ( भाग – २) अब था लंबा इंतजार बहुत लंबा | करने को कुछ ना था तो मैने होमवर्क तीन दिनो मे ही निपटा लिया | मन ना लगता था मेरा उन दिनो सोचता रहता की कब आयेगी ०२ जनवरी और स्कूल खुलेगा | पता नही किस उधेड़बुन में रहता था | अब सोचता हूँ तो अनायास ही हँसी आ जाती है | खैर किसी तरह दिन कट ही गये और स्कूल खुल ही गया , मैं उत्साह के मारे परेशान और खुश था | जल्दी जल्दी शायद सबसे पहले स्कूल पहुँच गया | सभी का इंतजार करने लगा | दोस्तों से अभिवादन हो रहा था कैसे कटी छुट्टिया ये एक दूसरे को बता रहे थे | नया साल का मिलन था ही पर वो ना दिख रही थी जिसका इंतजार कर रहा था | अभी क्लास में मैं नही गया था दिल बैठा सा जा रहा था | हारा हुआ मैं क्लास की तरफ बढ़ा दोस्तों के साथ , जैसे ही क्लास मे प्रवेश किया देखता हूँ कि वो पहले आ चुकी है क्लास में | अचंभा सा रह गया मैं कुछ बोल नही पाया | पूरे सहपाठी थे क्लास में पर खुश तो हो ही गया थ...